कैसे भगवान के साथ एक रिश्ता बनाएँ?

बाईबल हमें सिखाता है कि भगवान ने मानवता सहित सब कुछ बनाया है और भले ही इश्वर सही और अच्छे हैं, लेकिन आदमी वैसा नहीं है. इश्वर ने मानव जाति को एक मुक्त नैतिक एजेंट बनाया और उसे अच्छाई और बुराई के बीच चयन करने की क्षमता दी. इश्वर का पवित्र पुस्तक, बाईबल इश्वर के खुद के रहस्योद्घाटन के सम्बन्ध में है जो हमें कहता है के हम सब ने पाप किया है और उनकी महिमा से गिर गए हैं.

अगर मैं आज्ञाओं के बारे में कहूँ, जो कानून का नैतिक आधार है तो ऐसा कोई भी नहीं होगा जो कुछ हद तक इश्वर के क़ानून के पार नहीं गया होगा. पाप का मतलब परमेश्वर या अन्य लोगों का उल्लंघन है चाहे वह दूसरे देवताओं की सेवा कर के किया गया हो या फिर इश्वर का नाम दुरुपयोग करके किया गया हो और इसका पूर्ण परिणाम ये होता है के हम इश्वर को हमारे पूरे दिल से प्यार नहीं कर पाते. इस आज्ञा के बाद आता है माता पिता की अनादर, हत्या जो नफरत के बराबर है, व्यभिचार जो आँखों की लालशा से जुड़ा है, चोरी, पड़ोसी के खिलाफ झूठी गवाही देना, और दुसरे आदमी की संपत्ति या पत्नी की लालशा करना जो गलत इच्छाओं और इरादों के साथ जुड़ा हुआ है.

इस उल्लंघन ने हमें इश्वर से सदा के लिए कटौती किया है या फिर अलग – थलग रखा है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हम खो गए हैं और उनसे जुदा हो गए हैं क्योंकी वो खुद पवित्र होते हुए खुद को पाप के साथ रहने की अनुमति नहीं दे सकते. पाप परमेश्वर का क्रोध लाता है सिर्फ यहीं पर नहीं बल्कि अनंत काल में भी. बाईबल इस जगह को एक ऐसे जगह के रूप में बयान करता है जहां आग कभी नही बुझती और जहां महान पीड़ा है.

इस बिंदु पर बातें निराशाजनक लगती हैं, लेकिन अच्छी खबर यह है कि परमेश्वर ने मसीहा को भेज दिया है जो पाप के बिना थे. उनका कार्य इश्वर के आगे लोगों के लिए मध्यस्तकर्ता बनना था और उन्होंने ये करने के लिए अपनि भौतिक जीवन को हमारे लिए एक बदले के रूप में कुर्बान कर दिया और परमेश्वर के न्याय को पूरा कर दिया.

वो न केवल मानव जाति के लिए मरे ताकि इश्वर और हमारे बिच शान्ति बन सके, वो मरने के बाद फिर जीवित भी हुए और अब उन सब का इन्तेजार कर रहे हैं जिन्होंने उन पर भरोसा रखा. तो अब जब हम मृत्यु के पार जाएंगे हमारा शरीर तो मर जाएगा, लेकिन हम उनके साथ मौजूद रहेंगे और इसी बात को बाइबल अनन्त जीवन के रूप में संदर्भित करता है.

यह सभी बातें हमारे आगे खुल जाएगा जब हम दिल से यीशु में विशवास रखेंगे और उनको हमारे उद्धारकर्ता के रूप में मान लेंगे जो पाप को निकाल कर इश्वर के साथ हमें शांति में लाते हैं. इसमें एक और बात सामिल है के जब हम उनको प्रभु के रूप में मानते हैं, अब हम उनकी आज्ञाकारिता से सेवा करेंगे.

जब हम इस क्षमता में यीशु को प्राप्त करते हैं तो वह हमें पवित्र आत्मा के व्यक्तित्व में स्वर्ग का एक टुकड़ा भेज देते हैं जो विश्वासी में रहकर हमें इश्वर के लिए जीने में मदत करते हैं.

आस्था की इस लेन – देन के बाद पानी का बपतिस्मा या डूबने का अनुष्ठान आता है जिसको पानी का कब्र माना जाता है. यह क्रिया नया जन्म का प्रतीक है जिसमें इश्वर के भीतर के काम को बाहिरी रूप दिया जाता है जिसको इस क्रिया द्वारा घोषित किया या माना जाता है और ये आतंरिक रूप से नया इंसान बनने के लिए एक आध्यात्मिक वास्तविकता का संचार करता है.

यह पूरी प्रक्रिया एक साधारण लेन – देन की तरह लगता है लेकिन ये महान महत्व और अर्थ से भरा हुआ है . यीशु आपको ये कह कर बुला रहे हैं “महेनत करने वालों और बोझ से दबे लोगों मेरे पास आओ और मैं तुम्हारे आत्मा के लिए विश्राम दूंगा. मेरा जुवा अपने आप पर लेलो और मुझसे सीखो क्योंकि मैं विनम्र और कोमल हृदय का हूँ, और तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे, क्योंकि मेरा जुवा सरल है और मेरा बोझ हल्का है.”.

मेरे दोस्त अगर आज आप उनकी आवाज को आपको बुलाते हुए सुन रहे हैं तो कृपया अपने दिल को कठोर मत बनाइए बल्कि अपने जीवन को इस आत्मा के चरवाहा को समर्पित कर दीजिए. वह आपको प्यार करते हैं और आपको एक ऐसी शांति देंगे जो सभी समझदारी और खुशी से बढ़कर है जिसके बारे में बताना भी नामुम्किन है. इसका ये कहना नहीं है के आपको अपने जीवन में किसी भी तूफान के मौसम का सामना नहीं करना पड़ेगा पर वो हमें वादा करते हैं के वो हमें कभी नहीं छोड़ेंगे और कभी नहीं त्यागेंगे.

समापन में मैं आपको प्रोत्साहित करूँगा के आप उनसे प्रार्थना कीजिए के वो अपनेआप को आपके सामने एक वास्तविक और ठोस रूप में प्रकट कर दें ताकि आप उन पर विश्वास कर सकें.

यदि आप दिल की ईमानदारी और निष्कपटता के साथ ऐसा करते हैं तो आपको निरास नहीं होना पड़ेगा क्योंकि हमें प्रोत्साहित किया जाता है ये देखने और स्वाद लेने के लिए के परमेश्वर अच्छे हैं. आमेन

 

 

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